बेस्टसेलर- कहानी

कहानी शीर्षक: बेस्टसेलर
लेखक: आकाश छेत्री

आएशा और देव दोनों एक कॉमन फ़्रेंड के जरिए मिले थे और करीब 2 साल से एक दूसरे डेट कर रहे थे। दोनों के दूसरे को समझते थे। आएशा एक कॉरपोरेट जॉब में थी और देव एक लेखक था और उसकी 4 किताबें प्रकाशित हो चुकी थी जो बेस्टसेलर्स की सूची में रहती थी। आएशा को देव का शांत स्वभाव और बेहद ही धीरे स्वर में बोलना पसंद था हालांकि उसे देव का प्रोफेशन कुछ खास पसंद नहीं था क्योंकि उसकी वजह से वो अपना समय ज्यादातर अकेले ही बिताता था। उसे न ही पार्टियों में कोई इंटरेस्ट था और न ही लोगों से मिलने में ।करीब 6 महीने पहले ही उन्होंने लिव इन में रहने का विचार बनाया था। दोनों ने मिलकर एक अपार्टमेंट खरीदा और उसमें शिफ़्ट हो गए थे। हालांकि देव को घर खरीदना था किसी शांत जगह पर लेकिन आएशा के जिद से उसे अपार्टमेंट में रहना चुना क्योंकि वो खुद भी आएशा के साथ रहना था।

दोनों बालकनी में बैठे कॉफ़ी पी रहे थे और देव लैपटॉप में अपना मुँह घुसाए बैठा था। देव ने घर के लिए कुछ नियम बना रखे थे जिसमें से आएशा का उसका लैपटॉप न छूना एक था। आएशा बोले जा रही थी और देव बस नाम के लिए बिना सुने सर हिला रहा था जिसपे आएशा झला गई और चिढ़कर उसका लैपटॉप उसके पास से छीन लिया तो पाया कि देव कुछ लिख रहा है जिसपे आज की तारीख के साथ डायरी शीर्षक लिखा हुआ था।


"ये क्या मशहूर राइटर देव कुमार डायरी भी लिखते हैं, वो भी रोज?" उसने उसे छेड़ते हुए पूछा।


"हाँ, अब वापस लाओ मेरा लैपटॉप।" देव ने हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा।


"अच्छा तो तुमने हमारी हर मुलाकात को इस डायरी में लिखा है" आएशा ने देव के हाथों की पहुँच से लैपटॉप को दूर रखते हुए कहा।


"क्या बचपना है यह आएशा, इधर लाओ मेरा लैपटॉप।"


"नहीं पहले मेरे सवाल का जवाब दो तुम, तुमने लिखी है हमारी मुलाकात"


"हाँ, लिखी है। हर मुलाकात, हर पल वो भी हर डिटेल और डेट के साथ।"

"पर क्यों"


"क्योंकि मैं बिना लिखे रह नहीं सकता। जब तक जो घटित हुआ है उसे लिख न लूँ तब तक मेरे अंदर एक बेचैनी सी रहती है जैसे कोई करैक्टर मेरे अंदर हो जो बाहर आना चाहता है। अब चाहे तुम इसे मजबूरी कहो या कुछ और पर मेरा लिखना जरूरी है" देव एक सांस में कह गया।

"पर तुम इन्हें मुझसे छुपा के क्यों रखते हो"


"ताकि तुम इन्हें पढ़ न लो और शायद इस डर से भी की तुम्हारी प्रतिक्रिया क्या होगी"


"क्या मैं इन्हें पढ़ सकती हूँ" उसने एक हल्की सी मुस्कान के साथ पूछा।


"अगर तुम पढ़ना चाहती हो तो, बेशक"


आएशा पढ़ने लगी और जैसे जैसे वो पढ़ती जा रही थी। उसके माथे पर शिकन बढ़ती जा रही थी। परेशानी पसीने की बूंदें बनकर उसके माथे पर उभर आई थी। उसने बीच में ही पढ़ना बंद किया और लैपटॉप बंद कर दिया।


"ये क्या देव, ये सब क्या लिखा है तुमने"


"क्या हुआ, आएशा।"


जो भी बातें तुमने लिखी है वो असल में वैसी हुई ही नहीं जैसा तुमने लिखा है। हम टिंडर पर नहीं हमारी एक कॉमन फ़्रेंड की सगाई पर मिले थे और मैं कॉरपोरेट ऑफिस में जॉब करती हूँ न कि एक उभरती अभिनेत्री। यह सब क्या लिखा है तुमने और उस रात मैंने नहीं तुमने ज्यादा पी रखी थी और मैंने तुम्हें अपनी कार में ड्रॉप किया था न कि तुमने मुझे। तुमने झूठ क्यों लिखा है देव, बताओ?


यह सब मैंने नहीं लिखा आएशा मैंने तो वही लिखा था जो हुआ है। पता नहीं चीज़े कैसे बदल गई।


क्या मज़ाक है, देव यह तुम्हारा लैपटॉप राइटर तुम हो तो और कौन लिखेगा।


पर मैंने कब लिखा यह सब, मुझे कुछ याद नहीं है।


आएशा गुस्से से उठ गई और अंदर रूम में चली गयी और दरवाजा बंद कर लिया। देव ने लैपटॉप उठाया और लिखे को पढ़ने लगा। सच में सारी चीज़ों के घटने के क्रम, जगह, बदल चुके थे पर कैसे वो सोचने लगा। तभी उसे अपने दिमाग में एक जानी पहचानी आवाज़ आने लगी देव को पिछले कुछ महीनों से यह आवाज़ खुद के भीतर सुनाई दे रही थी। परंतु उसे उस आवाज़ से मिलती जुलती कोई चेहरा नजर नहीं आता था। उसने डॉक्टर से बात की परन्तु डॉक्टर ने इसे कम सोने और स्ट्रेस लेने का कारण बताया और सलाह दी कि वो आराम करे और लेखन से दूर रहे।


"ये सब मैंने क्या लिखा है, आएशा सही कहती है ऐसा कुछ नहीं हुआ था और यह मैं भी जानता हूँ फिर भी मैंने झूठ लिखा।" देव ने खुद से बड़बड़ाते हुए कहा।


"हाँ लिखा है मैंने झूठ, पर सच बहुत बोरिंग है। कितना बोरिंग है आएशा का कॉरपोरेट जॉब में होना और लाखों कपल्स मिलते है कॉमन फ्रेंड के जरिए। कुछ एक्ससाईटिंग है इसमें ?, कौन पढ़ना चाहेगा इसे?।" उसके अंदर के आवाज़ ने कहा।


"कौन पढ़ना चाहेगा मतलब, तुम इसे पब्लिश करना चाहते हो" देव ने अंदर से आती आवाज़ से पूछा।


"हाँ क्यों नहीं, एक और बेस्टसेलर।"


"नहीं, यह सब बहुत निजी है। मेरे लिए भी और आएशा के लिए भी।""


"निजी है अरे लोग निजी ही पढ़ना चाहते है। लोगों को मज़ा आता है किसी और कि जिंदगी में झांक कर क्योंकि उनकी खुद की ज़िंदगी जो इतनी fucked up है और तुम क्यों इतना घबरा रहे हो यह पहली बारी तो नहीं जब हमने कुछ निजी लिखा हो, तुम तो अपनी माँ की मृत्यु को भी लिख चुके हो। भूल गए अपना पहला उपन्यास जिसने तुम्हारे कैरियर को किक स्टार्ट दिया और आएशा का क्या जिसे हम हर दिन लिख रहे हैं बता क्यों नहीं देते उसे की वो भी अंत में बस एक कहानी का पात्र बनकर रह जायेगी"


देव चुप हो गया, अंदर की आवाज़ की बातों का उसके पास कोई जवाब नहीं था। अंदर से आती आवाज रुक ही नहीं रही थी उसने अपने दोनों कानों पे हाथ रखे और कुछ देर यूँहीं बैठा रहा। थोड़ी देर बाद आएशा कमरे से बाहर आई और आके देव के कानों से हाथ हटाकर पूछा कि क्या हुआ जिसपे देव ने कहा कुछ नहीं। आएशा ने उसे गले लगाते हुए कहा कि चीज़े वैसी ही सुंदर लगती है जैसी वे हैं, कई बार उनमें हल्की सी छेड़ छाड़ भी उनका अस्तित्व खत्म कर सकती हैं। देव तुम कहानी लिखों मगर लोगों से इंस्पायर्ड होकर, न को उन्हें अपनी कहानियों में शामिल करके। पहले तुम्हारी माँ और अब मैं। क्या तुमने कभी अपनी माँ या मुझसे पूछा कि वो तुम्हारी किताब का हिस्सा बनना भी चाहती है या नहीं। देव को आएशा की बातें गंभीर लगी उसने ने आएशा से वादा किया कि वह सब कुछ वैसा ही लिखेगा जैसा कि वे हैं और उनके निजी चीज़ों को वो अपने लिखे से दूषित नहीं करेगा और न ही कभी किसी के साथ साझा करेगा।


कुछ महीने बाद


किसी का जाना उसे इतना कभी इतना नहीं खला था जितना आज उसका जाना खल रहा था। वह खामोश खड़ा उसे देख रहा था।

उसका सूटकेस और बैग दरवाज़े में उसकी प्रतीक्षा में थे और वह घर में पड़ा कुछ सामान बटोर रही थी जिसे उन्होंने एक समय पर साथ में इस घर के लिए खरीदा था।


तुम वह विंड चाइम क्यों उतार रही हो? अचानक वह बोल पड़ा।


यह मैं लाई थी ताकि पॉजिटिविटी आए, मगर तुम जैसे नेगेटिव शख्श को भी यह पॉजिटिव नहीं कर सकता। इसलिए मैं इसे अपने साथ लेके जा रही हूँ। उसने कहा उसके स्वर में एक रूखापन था।


मगर तुमनें कहा था कि तुम्हारा मेरा कुछ नहीं सब हमारा है क्योंकि हम दोनों ने उसे साथ में वहाँ बालकॉनी में लगाने का फैसला किया था। वह दर्द भरी आवाज़ में बोलने लगा।


उसके हाथ थोड़ी देर के लिए रुके फिर कुछ सोचकर वह वापस उसे बैग में डालने लगी।


आएशा की आदत थी छोटी छोटी बातों पर चिढ़ जाना। वह हमेशा देव और उसके बीच की दूरियों के लिए उसके पेशे से लेखक होने को ज़िमेदारी मानती थी। आएशा चाहती थी कि देव उसे टाइम दे मगर देव ज्यादातर समय अपने लैपटॉप के साथ बालकॉनी में पाया जाता। और अभी कुछ घण्टों पहले तो हद ही हो गई। उनकी पहली मुलाकात की सालगिरह पर भी वह पार्टी के दौरान अकेले बालकॉनी में सिगरेट फूंकते हुए लैपटॉप को खोले बैठा था जबकि उन दोनों के सारे दोस्त हॉल में उसके अन्दर आने का इतंज़ार कर रहे थे। पार्टी में आएशा के कई colleagues भी आये थे जो देव से मिलने की ज़िद कर रहे थे। मगर आएशा के बार बार बुलाने के बाद वह 5 min के लिए अंदर आया और वापस बालकॉनी में चला गया। आएशा बार बार उसे बुलाने आती जिसपे देव ने परेशान होकर बालकनी का दरवाजा लॉक कर लिया और आएशा को सबके सामने बहुत ज्यादा शर्मिंदगी महसूस हुई जब सब लोग चले गए तो देव कमरे में आते ही क्या देखता है कि आएशा अपना सामान पैक कर रही थी।


तुम यार ऐसे कैसे जा सकती हो? देव ने जोर देके पूछा।


जैसे तुम मुझे पार्टी में humiliate कर सकते हो?


Come on यार, you know I don't like parties and all.


मुझे पता है लेकिन तुम मेरे लिए तो थोड़ी देर रुक सकते थे पार्टी में।


मैं रुका तो था।


सिर्फ 2 min के लिए।


Actually, 5 min के लिए था मैं।


आएशा एक तीखी नज़र उसपे डाली और वापस बैग में चीज़े डालनी लगी।


सॉरी यार, पर तुम्हें पता है न मेरा इस कहानी को पूरा करना कितना जरूरी है यह मेरे लिए जरूरी है।


और मैं देव, मैं जरूरी नहीं हूँ तुम्हारे लिए। वैसे भी तुम मुझे टाइम ही कहाँ देते हो सारा दिन और पूरी रात तुम्हारे हाथों में यह लैपटॉप ही तो रहता है।

तुमने सबके सामने मेरी बेज्जती करवा दी अब वो क्या सोचेंगे। और कल उन्हें कैसे face करूंगी ऑफिस में।


आएशा अभी बोल रही थी कि देव की नज़र टेबल पर पड़े उसके लैपटॉप पर गयी उसने देखा कि कोई शख्श उसके लैपटॉप से छेड़छाड़ कर रहा है। आएशा ठीक उस शख्श और देव के बीच खड़ी थी जिससे देव उस शख्स की शक्ल नहीं देख पा रहा था। आएशा बाथरूम की तरफ गयी तो देव ने उसकी तरफ देखा उस व्यक्ति ने बिल्कुल उसके जैसे ही कपड़े पहने हुए थे। सफेद शर्ट और ब्राउन पेंट और वो लैपटॉप के की बोर्ड पर अपनी उंगलियां चला रहा था।


ओए, तुम कर क्या कर है हो? उसने कहा परन्तु उसे समाने से कोई जवाब नहीं मिला। उसने एक दो बार और कोशिश की मगर उसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। वो धीरे-धीरे उसके पास गया और उसके कंधें पर हाथ रख दिया और वो शख्श उसकी तरफ मुड़ा। उसको देखते ही देव चौंक गया। वो शख्श को और नहीं देव खुद था। वह उसके भीतर का लेखक था जो अभी इस वक़्त साक्षत उसके नजरों के सामने जीता जागता खड़ा था।


तुम यहाँ क्या कर रहे हो?


आएशा और तुम्हारी कहानी लिख रहा हूँ जिसे न जाने तुम कब से आगे नहीं बढ़ा रहे हो।


पर मैं उसे आगे नहीं बढ़ाना चाहता, मैंने आएशा से वादा किया था कि मैं यह कहानी नहीं लिखूँगा।


हाँ, पर लिखोगे नहीं तो लेखक कैसे कहलाओगे।


ऐसा जरूरी नहीं कि मैं उसे इस कहानी में शामिल ही करूँ।


अब तो तुम कर चुके हो उसे शामिल और देखों न कितने अच्छे मोड़ पे है कहानी। आएशा और तपन का अफेयर होना और उसका बैग लेकर इस घर और तुम्हें छोड़कर जाना, तुम्हारा दिल टूटना। वाह..... क्या मोड़ है।


पर ऐसा कुछ कुछ नहीं हैं। आएशा का कोई अफ़ेयर नहीं है तपन के साथ वो तो उसका ऑफिस का दोस्त है। तुम झूठ क्यों लिख रहे हो।


अरे, यार तुम्हारी दिक्कत क्या है। मुझे यह सब मालूम है पर किसे इतनी बोरिंग कहानी पढ़नी है। इसमें क्या मज़ा है, मज़ा तो इसमें है कि उसका बॉयफ्रेंड एक राइटर है जो बोरिंग है और उसका ऑफिस का दोस्त हॉट एंड फनी और वो अपने लेखक बॉयफ्रेंड पे चीट कर रही है और बाद में लेखक उसे और उसके बॉयफ्रेंड को मार देगा।


लेकिन मैं किसी को नहीं मरूँगा।


मारोगे, एक बार बस कहानी के उस भाग में पहुँच जाऊं, मैं उस भाग को लिख लूँ फिर देखो तुम मारोगे, मैं तुमसे मरवाऊंगा आएशा को।


यह क्या बकवास कर रहे हो, यह नही हो सकता। मैं यह नहीं कर सकता, मैं यह नहीं लिख सकता।


जब आएशा वापस हॉल में आई तो उसने देखा देव अपने लैपटॉप के सामने बैठा है और बड़बड़ा रहा है। उसका पूरा शरीर पसीने में लथपथ है और उसकी उंगलियां तेज़ी से कीबोर्ड पर चल रहें हैं। उसके पास आकर जब उसने देखा तो पाया कि देव फिर से उन दोनों के बारे में लिख रहा है। यह दृश्य देखकर आएशा का गुस्सा और बढ़ गया वो सीधा देव के सामने आकर उसका लैपटॉप बंद कर दिया और लैपटॉप के बंद होते ही देव को देखकर आएशा को लगा जैसे देव किसी ट्रांस से बाहर आया हो वो इधर-उधर देखने लगा। उसने अपने शरीर को छुआ और फिर आएशा की तरफ एकटक देखता रहा।


तुम फिर हमारे बारे में लिख रहे हो ठीक है, लिखो जो तुम्हें लिखना मैं जा रही हूँ देव। आएशा ने कहा। देव ने कुछ नहीं कहा वह अभी भी स्तब्ध सा खड़ा आएशा को देखकर रहा था मानो उसे कुछ समझ नहीं आ रहा हो कि अभी अभी क्या हुआ था। आएशा ने भाँप लिया कि देव के साथ कुछ तो गड़बड़ है उसने उसका कंधा पकड़कर जोर से हिलाया और देव तब वर्तमान स्थिति में आया।


मैं जा रही हूँ देव हमेशा के लिए। उसने कहा और यह सुनते ही देव के आँखों से आँसू छलक आए। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे। वह अपने बैग को अंदर से लाकर एक जगह रख रही थी। देव को समझ नहीं आ रहा था कि वो इस समय क्या करे। उसने पीछे मुड़कर देखा तो उसका लैपटॉप खुला पड़ा था जहाँ आएशा की कहानी अधूरी पड़ी थी और सामने आएशा जा रही थी, उसके अंदर का लेखक कहानी को यूँ ही नहीं छोड़ना चाहता था पर देव जो कि एक प्रेमी भी है जो आएशा से बहुत प्रेम करता है उससे यूँ उसकी जिंदगी से जाने नहीं देना चाहता था और सच यह था कि वह दोनों में से किसी एक को ही अपने पास पकड़कर रख सकता था। आएशा जा रही थी और देव को पहली बार अपने लेखक होने पर गुस्सा आ रहा था वह सोचने लगा कि क्यों उसका जिया हुआ लिखा जाना जरूरी है क्यों वह सब कुछ काल्पनिक नहीं लिख सकता पर काल्पनिक से काल्पनिक कहानी का आधार भी तो असल जिंदगी ही होता है। उसने अपने लैपटॉप की तरफ देखा "नहीं मैं यह कहानी नहीं लिख सकता उसने खुद से कहा" और उसने लैपटॉप को हाथों में उठा लिया। आएशा लिफ़्ट के पास पहुँची ही थी कि उसे अंदर कमरे से कुछ टूटने की आवाज़ आई और वो कमरे की तरफ भागी जब वो वहाँ पहुँची तो उसने देखा कि देव ने अपना लैपटॉप तोड़ दिया और उसके टुकड़े टुकड़े कर रहा है वह बेहद गुस्से में था। आएशा दौड़कर उसके पास गई और उसे संभाला आएशा की बाहों में आते ही वह फूटफूटकर रोने लगा उसने रोते हुए कहा कि वह उसकी कहानी लिख रहा था उससे गलती हो गयी उसने अपने किए वादे को तोड़ दिया उससे लिखने और जीने के मध्य में जो लाइन है उसे मिटा दिया था। सब कुछ लिखा नहीं जाना चाहिए। आएशा ने उससे समझाया कि गलती का एहसास होने ही सबसे बड़ी उपलब्धि है और फिर वह लिख सकता है अगर उसे निजी लिखना भी है परंतु अगर उससे करना है तो उसे यह बिना बनावट के करना होगा फिर चाहे वो लोगों को बोरिंग ही क्यों न लगे और वैसे भी हम सब असल में बोरिंग ही ज़िंदगी जीते है और वो ही हमारी असल पहचान भी है क्योंकि उसमें हमें सुकून मिलता है। उसने कहा जिसपे देव ने उसे गले लगा लिया। देव ने वादा भी किया कि वह किसी भी कहानी की को जैसा घटित हुआ है वैसे ही लिखेगा साथ ही उसमें आये पात्रों को भी जितना हो सके रियल रखेगा। वो किसी भी कहानी में छेड़छाड़ नहीं करेगा,न झूठ नहीं लिखेगा उसे बेस्टसेलर बनाने के लिए।

Comments

  1. बहुत वास्तविक चित्रण..सामयिक और सार्थक लेखन...दो पात्रों के बीच का संवाद, एक लेखक का जीवन और उसमें घटित अंतर्द्वंद को सुंदरता से लिखा है आकाश भाई❤️🌸...

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    1. शुक्रिया सर, समय निकाल कर पढ़ने के लिए।🙏❤️

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