खेलों का व्यवसायीकरण

"पढोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब" यह कथन न जाने कितने ही वर्षो से भारत में चलता आया है। हर माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ाई पे ज्यादा ध्यान देने को कहकर कुछ ऐसे इसी कथनों का प्रयोग किए पाए जाते है। पहले कई वर्षो तक तो पढ़ाई ही हर जगह आगे दिखाई देती थी परंतु अब एक ऐसा दौर भी आ गया है, जहाँ पढ़ाई को छोड़कर दूसरे 'विकल्प जैसे खेल, रचनात्मक क्षेत्र में भी काफी विस्तार हुआ है और ज्यादातर भारतीय युवा इसी और अग्रसर होते हुए भी देखे जा सकते है।  खासकर खेलों का विस्तार तो पिछले दस, पंद्रह  सालों में इतना हो चुका है कि पढोगे लिखोगे होगे नवाब, खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब जैसे कथन धुंधले से नज़र पड़ते हैं। पहले हर राह चलता आदमी खड़े होकर यह कथन बडे चौड़े होकर बोल देता था परंतु अब कोई भी व्यक्ति ऐसे कथन का प्रयोग करने से भी बचता है। खेल की सीमा चुकी है इतनी बढ़ चुकी है कि आजकल हर घर में एक स्पोर्टस का व्यक्ति मिल ही जाता है।
हर माँ - बाप इन दिनों बच्चों को खेल की तरफ भेजने की भरपूर प्रयास करते हैं । पहले के वर्षी में खेल सिर्फ एक खेल था और हर व्यक्ति अपने देश को खेल में के जरिए गौरभवित करना चाहता था। पहले के वर्षो में खेल सिर्फ अपने देश को मंडल दिलाना होता था परंतु आज के दौर में खेल सिर्फ खेल नही है बल्कि यह एक विशाल व्यापार भी बन चुका है। आधे लोग से ज्यादा लोग तो खेल को करियर सिर्फ इसलिए बना रहें हैं कि क्योंकि व्यवासायीकरण होने की वजह से इसमे मोटा पैसा है। अगर क्रिकेट की बात करे तो आई. पी. एल जैसे ईनामेंट के आने से खेल में मुद्रा का विशाल विस्फोट देखने को मिलता है । हर बिजनेस मैन इन दिनों आई. पी. एल मे अपनी एक टीम चाहता है। आई. पी. एल के निलामी में इन व्यवसाय करने वालों की ओर से पैसा पानी की तरह बहाया नाल हैं। 2023 के आई.पी.एल. निलामी में पंजाब किंग्स ने England के 'Sam Curran' को पूरे 18.5 करोड़ रुपए देकर खरीदा। आप इस बात से अंदाजा लगा सकते है कि जो मालिक अपने टीम में शामिल होने लिए किसी खिलाड़ी को 18.5 करोड़  दे रही है। वह स्वयं आई.पी.एल में कितने समय पैसे बनाती होगी। 2023 में IPL का बिज़नेस वैल्यू 80 प्रतिशत बढ़कर 15 बिलियन डॉलर हो गया था। पहले के समय को देखे तो एक निवेशक ढूंढना भी किसी भी खेल बोर्ड के लिए मुश्किल कार्य था या परंतु इन नई लीग्स  IPL व ISL  के आने से कितने निवेशक खुद सामने से निवेश की पहल करने आगे आये। अगर आप देखे से खिलाडीयों की पोशाक (जर्सी) को देखे तो वो अलग-अलग निवेशकों के ब्रेंड के चिन्हों से भरी मिलेंगी और ब्रेक में आपको उनके प्रचार(advertisement) भी चलते हुए मिलेंगे कसे देख लगता है जैसे खेल कहीं पीछे है और व्यवासाय आगे फिर Dream 11, my circle11 जैसी एप्स का आना और लोगों का उन पर अपनी टीमें बनाकर सट्टा लगाना भी एक व्यवासाय ही बन चुका है। और खेल ने एक व्यवासायीक रुप अख्तियार कर लिया है। समय समय पर खिलाड़ीयों पर आरोप भी लगते आए है  कि वे अंतराष्ट्रीय मैचों की तुलना IPL में ज्यादा अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
अपने ब्रांड के  चिन्ह को खिलाड़ीयों के कपड़ो पर लगवाने और खिलाड़ियों द्वारा उनके प्रचारों में काम करने के लिए कंपनीयाँ करोड़ो रूपये देने से भी नहीं हिचकिचाती  इन लीग्स का इंतजार आम लोग भी बड़ी बेसब्री से करते है कि कब  इस प्रकार सके टूनामेंट्स हो और वे सट्टा लगाकर अपने पैसों को दोगुना कर सके । व्यवसायीक क्षेत्रों के लोगों साथ-साथ बॉलीवुड के नामी चेहरे भी आपको  यहाँ टीम खरीदते हुए नजर आ जाते हैं। आजकल तो  मैच के दौरान फिल्म कलाकारों द्वारा अपना फिल्म प्रमोशन भी किया जाने लगा हैं। गए हैं धोनी को देखने और आते है मॉनी रॉय को देखकर । खेल  व्यवसाय के रूप में इतना विस्तार ले चुका है कि यह पैसा कमाने, पैसा लगाने का, प्रचार करने का एक मुख्यबिंदू बन चुका।

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