Friends (मित्र)
स्कूल व कॉलेज खत्म होने के बाद कितना मुश्किल होता है पुराने दोस्तों से मिलना। कुछ दिनों की मुलाकाते धीरे-धीरे कुछ पलों में बदलती जाती हैं और फिर वो पलों की मुलाकाते एक-आध सालों के अंतराल में बदल जाती है। पहले मिलना-जुलना कम होता है फिर उनके फोन और संदेश भी आने बंद हो जाते हैं। बचपन कितना सुंदर, कितना निश्छल होता है परंतु जैसे ही हम बडे होते है हम पचास तरीके की चीजें देखने व सुनने लगते है। दूसरों से अलग कि 'व ऊँचा दिखने के भाव मन के भीतर घर कर जातें है जबकि बचपन में इस तरह की किस से हम पूरी तरह से अनजान होते है। बचपन मैं कुछ भी करने से पहले हम विचारते नहीं है जो मन आया धड़ाक से कर देते है फिर चाहे वह मित्र को भरी दोपहरी में बाहर खेलने के लिए बुलाना हो या फिर झगड़कर अगले दिन उनसे वापस सुलहा कर ना हो हम ज्यादा झिझकते नही है परंतु बड़े होने के बाद मेरे ख्याल में, मित्रों के बीच एक ego एक घमंड जन्म ले लेता है। दोनों एक दूसरे से पहले बात करने के विचार पहल को खुद की हार के रूप में देखने लगते हैं।
'जब वो फोन नहीं करता तो मै क्यों करू"
जब वो बोलेगा तो मैं बोलूंगा " इस तह के वाक्य सदैव भीतर बसे मित्रता में खत्म करते चले जाते है। वो सौभाग्यशाली है जिनकी मित्रता मे यह ego factor कभी आ नही पाता परंतु ऐसे मित्रों का नम्बर बहुत ही छोटा चाहे कितनी भी गहरी मित्रता क्यों न हो समय के एक बिंदू पर आकर ego मित्रों के बीच आकर उनके मध्य रिश्ते को समाप्त कर ही देता। सब एक दूसरे को कम्पीटीशन के रूप में देखने लगते हैं कोई ज्यादा तरक्की कर लेता है तो जो बाकी के दोस्त पीछे रह गए है वे उस दोस्त से मिलने से कतराने लगते हैं शायद वह ऐसा शर्म के मारे करते हैं। कामयाब हो चुका दोस्त भी पुराने दोस्तों से मिलने को समय की बर्बादी समझने लगता है। कुछ नए रिश्तों के आने से मित्रता में दूरी आना सभाविक है और नया रिश्ता अगर प्रेमिका था प्रेमी के रूप में हो तो फिर तो बंदा अलग ज़ोन में चला जाता है। बचपन मे हम कैसे दिखते है इससे भी हमें कोई फर्क नहीं पढता परंतु बड़े होकर दोस्तों के बीच अच्छा दिखने की होड़ भी कई मित्रता में देख जा सकती है।
जो मित्र आपके स्कूल और कॉलेज में बनते है वो सही मायने में आपके सच्चे मित्र होतें हैं, वे आपको in and out जानते है उनके अलावा सभी मित्र जो कोई पार्टी मे मिल जाते है या ऑफिस में आपको मिलते है उनमें से ज्यादातर लोग सिर्फ आपके सफलता के दोस्त होते है।अच्छे मित्र का होना किसी खजाने के पास होने जैसा है इसलिए यह ego वीगो को छोड़िए और आप ही बातचीत की पहल शुरू कीजिए क्या पता दूसरी तरफ आपका दोस्त बडी आतुरता से आपके संदेश का इंतेजार कर रहा हो।
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