तुम्हारा यूं अचानक मुझसे मिलने आ जाना ऐसा है जैसे अचानक पहाड़ों पे धूप खिल आती है और सब कुछ चमकदार हो जाता है जैसे जाड़े की ठिठुहरन में एक गर्माहट पूरे शरीर को मिलने लगती है। मैं हमेशा से चाहता हूँ कि मैं तुम्हारे बताए जगह पर पहले पहुँच जाऊं और तुम्हारा इंतज़ार करूँ मगर हर बार तुम ही मेरी राह तकते हुए पाई जाती हो। मैंने हमेशा दूसरों का इंतजार किया है परंतु तुम्हें देख कर लगता है कि कोई है जो मेरा इंतज़ार भी करता है। तुमसे मिलना मेरे लिए कठिन भी है और बेहद आसान भी, आसान इसलिए क्योंकि हमारे बीच सबकुछ एकदम सहज है, एक आपसी समन्वय है जिसमें कुछ भी आरोपित नहीं लगता और कठिन इसलिए कि जैसे ही मैं तुमसे मिलता हूँ या मिलने की बात करता हूँ मैं इमोशनल हो जाता हूँ तुमसे बाते करते हुए मेरा ह्रदय अचानक रुंध उठता है, साथ ही तुमसे शाम को अलग होने के ख़्याल से जूझना भी पड़ता है। तुम्हारा कैब में बैठकर मुझसे दूर जाना मुझे हमेशा खलता है फिर चाहे वो एयपोर्ट से तुम्हारा जाना हो या कल pacific mall से ऐसा प्रतीत होता है मानों तुम्हारा जाना बार बार रीप्ले हो रहा हो। मैं उस बच्ची को भी देख सकता हूँ जिसे आज...
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