यादों का बक्सा

अब शायद ही कोई पुरानी चीज़ों को संजो के रखना चाहता है। मुझे आज भी याद है मेरे गाँव में भी एक बड़ा बक्सा है जिसमें मेरी माँ ने मेरे और मेरी बहन के बचपन के कपड़ों और खिलौनों को संभाल कर रखा है। उसमें नानी की शॉल और भी बहुत सारी पुरानी यादें बन्द है। मैं जब भी गाँव जाता हूँ तो मुझे उस बक्से को खोलकर देखने की चाह रहती है। मैं जब भी गाँव के घर पहुँचाता हूँ सबसे पहले बक्से को ढूंढता और उसे खोलकर घण्टों बैठ कर बक्से के अंदर निगाह डाले देखता रहता हूँ जैसे हर बार मुझे कुछ नया देखने को मिलेगा।

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