लेखक का ट्रांसफॉर्मेशन
हर व्यक्ति जो लेखक बनना चाहता है वह एक ट्रांसफॉर्मेशन से गुजरता है जिसे वह खुद भी शायद ही नोटिस कर पाता है। उसके लेखक बनने के शुरुआत की पहली सीढ़ी कविताओं से शुरू होती है, उसके कवि बनने से शुरू होती है। वह लगातार कविताएं लिखता है परन्तुं उसे कहानियाँ लिखने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। वह चाह कर भी कविताओं से कहानियों तक का सफर तय नही कर पाता। कई सालों तक कविता लिखकर फिर वह धीरे धीरे कहानियों तक पहुँचता है और कविता छोड़ कहानी लिखने लगता है अब उसे कहानी लिखने में मजा आने लगता है और कुछ समय बाद वह कहानी छोड़ उपन्यास की तरफ बढ़ने लगता है।
मुझे भी कुछ दिनों पहले अपने भीतर हो रहे इस ट्रांसफॉर्मेशन का आभास हुआ मैंने भी अपने लेखक बनने की शुरुआत कविताओं से की। मैं स्कूल के दिनों से ही कविताएं लिख रहा हूँ मगर तब मैं सिर्फ़ अंग्रेज़ी में ही लिखा करता था खैर भाषा का कोई ज्यादा फर्क नही पड़ता है। लेखन अच्छा होना चाहिए मगर उन दिनों मेरा लेख भी इतना अच्छा नही होता था परंतु मैंने लिखना बन्द नही किया। क्लास में बैठे मैं नोटबुक्स के पीछे कविताएं लिखा करता था और कॉलेज के आखिरी साल तक मैंने खूब लिखा अच्छा, बुरा, सब कुछ। मैंने इंस्टाग्राम पर एक poetry page भी बना डाला और लगभग साढ़े चार सौ कविताएं लिख डाली लेकिन कविताओं के अलावा कुछ और बड़ा लिखने की मेरी कभी हिम्मत नही हुई मैंने एक दो बार प्रयत्न किये मगर हर बार मुझे कहानी के जंगलों से खाली हाथ ही लौटना पड़ा मगर मैंने अपने बचकाने प्रयास कभी बन्द नही किये मैंने कई सालों तक कविताओं से छुप कर कहानी लिखने का भरस्क प्रयास किया। मुझे डर इस बात का भी था कि कही कहानी कि तरफ मुझे बढ़ता देख कविताएं नाराज़ न हो जाये और कही मुझसे रूठ कर मेरा साथ न छोड़ दे और ऐसा एक दो बार हुआ भी की कहानी लिखने की कोशिश में मैंने नोटिस किया कि अब मैं कविताएं भी नही लिख पा रहा था सो मैंने बीच में कुछ भी लिखना बन्द कर दिया शायद इसका कारण यह भी हो सकता था कि मेरा बनाया गया poetry page हैक हो गया था। मेरे जितने भी मित्र थे जो इंस्टाग्राम पर मेरी कविताएं पढ़ा करते थे उन्होंने मुझसे सवाल पूछने शुरू कर दिए कि मैं क्यों कोई कविता साझा नही कर रहा हूँ कुछ वक्त तक मैंने उन्हें इग्नोर किया फिर बाद में मैंने उन्हें बताया कि मेरा account हैक हो गया है और अब कुछ भी लिखने का मन नही करता है। मैं जानता हूँ कि यह एक बेहद ही बचकाना सा बहाना था कुछ न लिखने का मगर मुझे उन्हें कतई यह नही बताना था कि मेरी कविताएं मुझसे रूठ गयी है, मैं घण्टों कलम और नोटबुक लिए बैठे रहता हूँ मगर वह मेरे पास नही आती है। दिन बीतते गए और मैंने मेरे लेखन को वक़्त के साथ जाया होने दिया फिर एक शाम को मेरे मित्रों ने व्हाट्सएप कर मुझे दोबारा account बनाने और लिखने के लिए प्रेरित किया। काफी सोच विचार करने के बाद मैं इस निष्कर्ष पे पहुँचा की मुझे फिर से कविता लिखने की कोशिश करनी चाहिए तो आखिरकार मैंने एक नया account बना ही लिया बस अब इंतजार था तो कुछ अच्छा पोस्ट करने का। पहले तो मैंने कुछ पुरानी कविताएं जो मेरे फोन में किसी कोने में पड़ी थी उसी को पोस्ट कर दिया परन्तु सवाल यही था कि इसके आगे क्या? मैं कितने ही दिनों तक पुरानी कविताओं के सहारे रह सकता था तो मैंने फिर से लिखने का फैसला किया और मैंने देखा कि मैं फिर से कविताएं लिखने लगा था। मैंने कुछ बेहतरीन कविताएं लिखी मगर कुछ ही समय बाद भीतर के शब्दों का समंदर सुख गया और मैं वापिस कोरे पन्ने के साथ अकेला निर्थक सा पड़ा रहा। मैंने कई कोशिश की मगर कविताएं मुझसे दूर जाने लगी मैं उन्हें रोकना चाहता था मगर फिर मैंने उन्हें जाने दिया और निर्णय लिया कि जब तक शरीर के अंदर कविताएं के बीज स्वयं नही फूटेंगे मैं कविता नही लिखूंगा। लेकिन भीतर का लेखक कुछ ही दिनों बाद बेचैन होने लगा उसके भीतर फिर से अपने लिखे को चखने की लालसा जागने लगी सो मैंने लिखना शुरू किया बिना यह सोचे कि क्या लिखूंगा धीरे धीरे मैं लेखन की गहराई में उतरने लगा और शब्द बटोरने लगा। मैंने देखा कि यह जो मैं लिख रहा हूँ वह कविता तो कतई नही है मगर बिना ज्यादा सोचे मैं लिखता रहा और जब मैंने लिखना खत्म किया तो देखा की यह कविता नही है यह तो एक कहानी है, मेरी कहानी जिसे मैं कब से अपने भीतर पाले हुआ था। मैं अब कहानी लिखने लगा था कविता से मेरा नाता टूट चुका था अब मैं और कविता नहीं लिख सकता था और न ही मुझे अब कोई कविता लिखनी थी। इन दिनों मैं सिर्फ यह लेख लिख रहा हूँ जिसे आप मेरे अंदर की कहानी भी कह सकते है। मुझे कविता को छोड़ कहानी तक का सफर तय करने में बहुत समय लगा है मगर मैं किसी जल्दबाज़ी में नही हूँ वैसे भी लिखने के मामले में मुझे हड़बड़ी पसन्द नही है। मुझे लगने लगा है कि मैं अब लेखक बनने के उस ट्रांसफॉर्मेशन का भाग हूँ जिसका सभी जिक्र करते है। मैं यह ट्रांसफॉर्मेशन अपने भीतर महसूस कर सकता हूँ और यह मेरे लिए बहुत ही सुखद अनुभव है।
बहुत अच्छा अनुभव साझा किया.. ब्लॉग के लिए भी बधाई और इच्छाशक्ति से लिखते रहिये.. प्रिय लेखक
ReplyDeleteशुक्रिया आपका इसे पढ़ने के लिए। बस एक शुरुआत करने की कोशिश की है ब्लॉग्स के जरिए।
Deleteबहुत ही खूबसूरती से आपने अपनी लेखन की अब तक की यात्रा को दर्शाया है। प्रिय मित्र, आप बहुत ही बेहतरीन लिखते हैं। हमारी शुभकामनाएं सदेव आपके साथ हैं। आशा है आप इसी तरह आगे भी हमें अपने सुंदर लेखन से तृप्त करते रहेंगे।
ReplyDeleteशुक्रिया शिवानी इतने अच्छे शब्द के लिए, आप जैसे लोग या यूँ कहूँ तो आप जैसे मित्र ही मुझे ऐसे लेख लिखने में मदद करते है। मुझे शुरू से ही बातें कहने में कठिनाई हुई है इसलिए मैं उन्हें लिख देता हूँ।मुझे इस बात की खुशी है और साथ ही में आभारी हूँ कि तुमने अपना समय निकाल कर इसको पढ़ने लायक समझा।
Deleteवाह..!!
ReplyDeleteअब लगता है के जिस दोस्त (आकाश) को मैं जानता था वो कोई और है और जो इतनी गहरी बातों को इतनी सहजता के साथ समझा रहा है वो कोई आम इंसान नहीं बल्कि एक महान लेखक बनने वाला कोई महान इंसान है।
सही में पूरा परिचय पढ़ के बहुत अच्छा लगा।
भगवान से यही प्रार्थना है के आपके सभी प्रयास सफल हों और आपके सभी सपने साकार हों।
हरे कृष्ण 🙏
शुक्रिया दोस्त, बचपन के दोस्तो से इस तरह की प्रोत्साहन देखकर बहुत ही अच्छा लगता है। बहुत आभार तुम्हें भाई। बस थोड़ा बहुत लिखने की कोशिश है, जो अनुभव मैंने पाया बस वही लोगो के साथ साझा।
DeleteNice story keep it up
ReplyDeleteThank you so much for reading , it means a lot.❤️🌺🦋
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